भारत का भूगोल: वन सम्पदा

Rajendra Choudhary

भारत का भूगोल: वन सम्पदा
  • एक अनुमान के अनुसार भारत में पायी की 45,000 प्रजातियाँ पायी जाती है, इनमें से 5000 प्रजातियाँ पायी है जो केवल भारत में पायी जाती है।
  • भारत में जीव-जन्तुओं की 75,000 प्रजातियाँ पायी है।
  • भारत में पायी जाने वाली वन्य में 3% शाकाहारी व 97% चीदी परसित वाली वन्य है।
  • अर्थात् वनों में लक्ष्य कटना या पशुपालना वन्यजीवों को सबसे ज्यादा हानि पहुँचाने की अनुमति होती है।

भारत में वन्यजगत क्षेत्रों के आधार पर वनों का वितरण –

भौगोलिक प्रदेश –

  1. हिमालय प्रदेश
  2. विशाल मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठारी एवं पर्वत
  4. पश्चिमी घाट और तटीय प्रदेश
  5. पूर्वी घाट और तटीय प्रदेश
  • पारिस्थितिकी की दृष्टि से भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33% भाग पर वनों का होना आवश्यक है।
  • लेकिन लिव पश्चिमी क्षेत्र में 60% भूमि पर वन औसत में 20% भूमि पर वन अनिवार्य है।
  • भारत में वनों की तितर-बितर स्थिति अनुरूपित है एक और आदम निम्नकार दीप समुद्र में 80% से अधिक औसत भूमि पर वन पाये जाते है, तो दूसरी और हरियाणा में 4% से भी कम भूमि पर वन वनों की स्थिति है।
  • यू. पी., भारत में 21%
  • यू. पी., भारत में 11%
  • दक्षिणी भारत में 19%
  • मध्यवर्ती भारत में 30% भूमि पर वन पाये जाते है।
  • भारत के वनों में एक प्रकार की वैलय एक समान नहीं बल्कि है, अर्थात: उनमें विभिन्नता समानया होती है इसके अलग भारत के करीब 25% वन पर्ण के बाहर है।

भारत में सबसे अधिक होने वाली वनस्पतियाँ:-
(1) मुख्य उपयोगी

  • वन उपयोगी में सर्वाधिक मखमलपूर्ण गोल-काठ (TIMBER) है इसके
    पश्चात् जलावन की लकड़ी का स्थान आता है।
    सागवान-
  • यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पश्चिमी एवं मध्यवर्ती भाग (जबलपुर, होशंगाबाद), महाराष्ट्र के उत्तरी कनारा, छाया एवं बांद्रा, राजस्थान के बीकानेर में पाया जाता है। इसके अलावा यह तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार एवं असम में भी पाया जाता है। सागवान का सर्वाधिक मल प्रदेश में होता है।
  • इस लकड़ी की कटौती अस्त्र एवं वज्र निर्माण में काफी हद तक उपयोगी रहते हैं।
  • इसके उपयोगी फर्नीचर, हजारजनी आदि उपयोगी होता है।

(2) सहायक

  • वन का सर्वाधिक क्षेत्रफल मध्य प्रदेश में है।
  • इसके अलावा साल के वन सुप्रसिद्ध दक्षिणी क्षेत्र में पाये जाते हैं।
  • इसकी लकड़ी कठोर एवं टिकाऊ होती है, जिसके प्रयोग रेलवे स्लीपर, इमारती लकड़ी के रूप में होता है।

(III) अबनूस (Ebony)-

  • यह कठोर लकड़ी की मजबूत, कठोर एवं टिकाऊ लकड़ी है।
  • इसके अतिरिक्त भाग का पितृत्व कर लिया जाता है।

(IV) शीशम-

  • यह मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश व पश्चिमी बंगाल में पायी जाती है।
  • यह कठोर लकड़ी है, जिसमें प्रायोग फर्नीचर, रेलगाड़ी के डिब्बे, दरवाजे, खिड़की बनने में होता है।

(V) चन्दन-

  • यह मुख्यतः दक्षिणी भारत (कर्नाटक एक तमिलनाडु) में पाया जाता है।
  • इसकी लकड़ी कठोर एवं सुगंधित होती है। इसकी खामिक मात्रा में इसके तेल निकाला जाता है। चन्दन की लकड़ी का उपयोग संदूक व अराबती और बनने में किया जाता है।

(VI) देवदार-

  • यह पश्चिमी हिमालय में 1700 से 2500 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
  • इसकी लकड़ी कठोर, सुगंधित एवं टिकाऊ होती है। इसकी लकड़ी से तेल भी निकाला जाता है।

(VII) चीड़-

  • यह पेड़ की लकड़ी हल्की होती है जिसके उपयोग चाय की पेटी, माचिस, फर्नीचर, कीड़े आदि बनाये में किया जाता है।
  • इस पेड़ से तारपीन का तेल एवं रेजिन प्राप्त किया जाता है।

(2) गोंद उत्पाद-
भारतीय वनों से 3000 से भी अधिक प्रकार की गोंद उत्पत्ति की जाती है।

  • भारत विश्व में सबसे बड़ा सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यात भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
  • भारत के कुछ तथ्य अय्य में वनों का योगदान मात्र 2% ही मेघायल के वन तथ्य अनुसार अनुपात में मख्यवपूर्ण योगदान देती है।

वन रिपोर्ट-2021

  • 13 जनवरी, 2022 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पहली बार ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021’ (India State of Forest Report-ISFR 2021) जारी की।
  • वर्ष 1987 में विस्तृत कर संरक्षित क्षेत्र (MOEFCC) के अस्थायी भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India-FSI) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इस क्षेत्र की 17वीं रिपोर्ट है।
  • इस रिपोर्ट में वन और वन संरक्षण की अकलन के लिए भारतीय वन प्रणाली परिसीमा से 2 से ज्यादा अवधिकों को प्रयोग किया गया है।
  • परिदृश्य आधारित है।

ISFR, 2021 मुख्य निष्कर्ष :-

  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2019 के आकलन की तुलना में देश के वन और वृक्ष आवरण में 2261 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई। इसके वन क्षेत्र में 1540 वर्ग कि.मी. और वृक्षावरण क्षेत्र में 721 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।
  • देश में वन और वृक्ष से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 8,09,537 वर्ग कि.मी. (80.9 मिलियन हेक्टेयर) है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62% है। कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,13,789 वर्ग कि.मी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.71% है, कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वृक्षावरण क्षेत्र 95,748 वर्ग कि.मी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.91% है।
  • इस स्थिति के अनुसार 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रतिनिधित्व वन आवरण को आधारित है।
देश में वन और वृक्ष से आच्छादित कुल क्षेत्रफल8,09,537 वर्ग कि.मी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62% या 80.9 मिलियन हेक्टेयर)
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र7,13,789 वर्ग कि.मी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.71%)
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वृक्षावरण क्षेत्र95,748 वर्ग कि.मी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.91%)
वृद्धि1540 वर्ग कि.मी.
वनावरण और वृक्षावरण क्षेत्र में वृद्धि2261 वर्ग कि.मी.
  • वन क्षेत्रफल में वृद्धि वाले शीर्ष राज्य:-
  1. आंध्र प्रदेश (647 वर्ग कि.मी.)
  2. तेलंगाना (632 वर्ग कि.मी.)
  3. ओडिशा (537 वर्ग कि.मी.)
  4. कर्नाटक (155 वर्ग कि.मी.)
  5. झारखंड (110 वर्ग कि.मी.)

• सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य:-

  1. मध्य प्रदेश (77,493 वर्ग कि.मी.)
  2. अरुणाचल प्रदेश (66,431 वर्ग कि.मी.)
  3. छत्तीसगढ़ (55,717 वर्ग कि.मी.)
  4. ओडिशा (52,156 वर्ग कि.मी.)
  5. महाराष्ट्र (50,798 वर्ग कि.मी.)

• न्यूनतम वन क्षेत्रफल वाले राज्य:-

  1. हरियाणा (1603 वर्ग कि.मी.)
  2. पंजाब (1847 वर्ग कि.मी.)
  3. गोवा (2244 वर्ग कि.मी.)

• सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले राज्य:-

  1. मिजोरम (84.53%)
  2. अरुणाचल प्रदेश (79.33%)
  3. मेघालय (76.00%)
  4. मणिपुर (74.34%)
  5. नागालैंड (73.30%)

• न्यूनतम वनावरण प्रतिशत वाले राज्य:-

  1. हरियाणा (3.65%)
  2. पंजाब (3.67%)
  3. राजस्थान (4.87%)
  4. उत्तर प्रदेश (6.15%)

• वन घनत्व प्रदेश:-

  1. दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव (21,387 वर्ग कि.मी.)
  2. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (22722 वर्ग कि.मी.)
  3. छत्तीसगढ़ (1227 वर्ग कि.मी.)
  4. सिक्किम (195 वर्ग कि.मी.)
  5. उत्तराखंड (53 वर्ग कि.मी.)
  6. लक्षद्वीप (27 वर्ग कि.मी.)
  7. अंडमान निकोबार दीप समूह (22 वर्ग कि.मी.)

• 75 प्रतिशत से ज्यादा वन वाले राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश:-

  1. लक्षद्वीप
  2. मिजोरम
  3. अंडमान और निकोबार दीप समूह
  4. अरुणाचल प्रदेश
  5. मेघालय

• 33-75% तक फॉरेस्ट कवर वाले राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश:-

  • 12 राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों में अधिकतम, नागालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, असम, ओडिशा में 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक वन क्षेत्र है।

• मैंग्रोव वन:-

  • देश में कुल मैंग्रोव कवर (तटीय वन क्षेत्र) 4,992 वर्ग कि.मी. है। 2019 की तुलना में मैंग्रोव कवर में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
  • ओडिशा में 8 वर्ग कि.मी., महाराष्ट्र में 4 वर्ग कि.मी. और कर्नाटक में 3 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।

• 79.4 मिलियन टन कार्बन स्टॉक बढा:-

  • देश का जंगल में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होता है। अगमन को 2019 की तुलना में इसमें 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में प्रति हेक्टेयर 39.7 मिलियन टन है।

IUCN – ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कॉन्जर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज’
पहले – 1948 में IUCN

  • विश्व संरक्षण संगठन – पूरा ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कॉन्जर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज’ है। इसका मुख्यालय, ग्लांड (स्विट्जरलैंड) में है। इसका संचालन विश्व स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों (पेड़-पौधों) व जीव-जंतुओं का संरक्षण करना और संरक्षण वाली विषय संरक्षा है।

IUCN के तीन प्रमख अंग है:

  1. WWF (वर्ल्ड वाइडलाइफ फंड फॉर नेचर) 1961 में गठन
  2. IBP (इंटरनेशनल बायोलॉजिकल प्रोग्राम) 1963 में प्रस्तुत
  3. रेड डेटा बुक

WWF

  • यह संस्था विश्व के विभिन्न देशों में जीव-जंतुओं के संरक्षण हेतु फंड/विशाल पांडा करने का कार्य करती है। इस संरक्षा का प्रतीक चिह्न
    = सफेद पांडा/विशाल पांडा है।
  • 1961 में गठन
  • मुख्यालय – ग्लांड (स्विट्जरलैंड)
  • सफेद पांडा/विशाल पांडा – चीन देश में यह जंतु पाया जाता है। यह जंतु बाँस की पत्तियाँ खाता है।

IBP

  • इस कार्यक्रम के तहत विश्व के विभिन्न देशों के जैविक कार्यक्रमों को तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।

रेड डेटा बुक

  • यह पुस्तक IUCN संधली 1964 से प्रतिवर्ष जारी करती है। इस पुस्तक में ऐसे पेड़-पौधे एवं जीव-जंतुओं की सूची दी जाती है जो विलुप्त हो चुके हैं, विलुप्ति के कगार पर हैं, संकट की स्थिति में हैं।

रेड पांडा –

  • उत्तर पूर्वी राज्यों में इसे “कोट बीयर” भी कहा जाता है। 1996 में रेड पांडा के संरक्षण के लिए योजना चलाई गई।
  • यह जंतु भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों व हिमालय में पाया जाता है।

ऑलिव रिडले टर्टल परियोजना –

  • यह एक प्रकार का कछुआ है। इसके संरक्षण के लिए सन् 1975 में परियोजना चलाई गई। इसके संरक्षण के लिए ओडिशा राज्य का भितरकनिका अभयारण्य का गहिसाथा क्षेत्र प्रसिद्ध है। कछुए संरक्षण की अरिवशी राजस्थान में भितरकनिका अभयारण्य क्षेत्र प्रसिद्ध है।

गिर सिंह परियोजना (LION) बब्बर शेर –

  • 1972 में प्रारम्भ की गई। वर्तमान में 674 शेर भारत में हैं। परियोजना महाग्रीम में केवल भारत में ही पाया जाता है।

हिम तेंदुआ –

  • यह हिमालय पर्वतीय क्षेत्र के राज्यों में पाया जाता है।
  • IUCN की RED DATA BOOK में संकटापन्न जीव-जंतुओं की सूची में शामिल है।

प्यूमा –

  • यह जंतु दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में अमेजन के जंगलों में पाया जाता है।

चीता –

  • यह जंतु दीर्घनेत्र का होता है।
  • यह जंतु सन् 1952 में भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छिंद स्थान पर अंतिम बार देखा गया।
  • भारत में मध्यप्रदेश के कुनो-पालपुर अभयारण्य में ईरान से चीता लाकर बसाने की भारत की योजना है।

शेर पूंछ बंदर (LION TAILED MACAQUE)

  • यह जंतु दक्षिण भारत में नीलगिरि की पहाड़ियों (कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु) में पाया जाता है।
  • यह जंतु IUCN की रेड डेटा बुक में शामिल है।

खराई ऊँट

  • यह पालतू पशु है इस प्रजाति का जंतु गुजरात के कच्छ के क्षेत्र में समुद्री तटीय भागों में पाया जाता है।
  • यह जंतु समुद्र में 4 से 5 किलोमीटर तक की यात्रा करके तटीय क्षेत्र की मेंग्रोव वनस्पति का भोजन करता है।
    भारत में जंतु के लिए प्रसिद्ध स्थान :-
    (1) गोमठ (फलोटी, जोधपुर – राजस्थान)
    (2) नचना (जैसलमेर – राजस्थान)

गौर जंतु
(i) इसे भारतीय BISON कहा जाता है।
(ii) यह जंतु ZSI का प्रतीक चिन्ह है।
(iii) भारत के साथ-साथ दक्षिणी एशिया के देशों में पाया जाता है।
(iv) यह जंतु भारत के कुछ प्रमुख राष्ट्रीय पार्कों में पाया जाता है जिनमें :-
1. बांधवगढ़ राष्ट्रीय पार्क – मध्यप्रदेश
2. बांदीपुर राष्ट्रीय पार्क – कर्नाटक
3. इंद्रावती राष्ट्रीय पार्क – छत्तीसगढ़ – इस राष्ट्रीय पार्क में उड़न गिलहरी भी पायी जाती है। उड़न गिलहरी राजस्थान के सीतामाता अभ्यारण्य में भी पाई जाती है।
4. बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय पार्क – कर्नाटक

बरगद का वृक्ष :- यह BSI संस्था का प्रतीक चिन्ह है।

शामिल हिरण परियोजना

  • इस हिरण के संरक्षण हेतु सन् 1977 में मणिपुर राज्य के केवल लमजाओ राष्ट्रीय पार्क में संरक्षण परियोजना प्रारम्भ की गयी।
  • यह विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय पार्क है।

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