राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan Ka Ekikaran)

Rajendra Choudhary

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राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan Ka Ekikaran)

राजस्थान की विभिन प्रतियोगी परीक्षाओ में राजस्थान के इतिहास सम्बंधित सवालों को पूछा जाता है। इसलिए अभ्यर्थिओ की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को और आसान बनाने के यहाँ राजस्थान का एकीकरण / RAJASTHAN KA EKIKARAN के सम्पूर्ण विस्तृत नोट्स उपलब्ध कराये जा रहे है। राजस्थान का एकीकरण के प्रश्न, राजस्थान का एकीकरण ट्रिक-

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15 अगस्त 1947 ईस्वी को जब भारत आजाद हुआ तो उस समय भारत में 565 रियासतें थी जिनमें से 562 रियासतों का विलय कर दिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में कुल 19 रियासते हैं तथा 3 ठिकाने तथा अजमेर – मेरवाड़ा अंग्रेजों के अधीन होने के कारण एक केंद्र शासित प्रदेश था।

  • राजस्थान और भारत का एकीकरण (Rajasthan Ka Ekikaran) का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को है।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल की नीति लोह और रक्त की नीति थी।
  • पटेल को भारत का लौह पुरुष और भारत का बिस्मार्क कहा जाता है।
  • 27 जून 1947 को रियासती विभाग की स्थापना होती है।
  • 5 जुलाई 1947 को रियासती सचिवालय की स्थापना होती है।
    • सचिवालय का अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाया जाता है और सचिव वी. पी. मेनन को बनाया जाता है।
  • 25 जुलाई 1947 को नरेश या नरेंद्र मंडल का अधिवेशन दिल्ली में होता है जिस को संबोधित करते हुए लॉर्ड माउंटबेटन दो परिपत्र जारी करता है।
    1. इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन – विलय पत्र
    2. स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट – यथास्थिति पत्र
  • राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत क्षेत्रफल की दृष्टि से – मारवाड़
  • राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जनसंख्या की दृष्टि से  –  जयपुर
  • राजस्थान की सबसे छोटी रियासत जनसंख्या और क्षेत्रफल दोनों की दृष्टि से – शाहपुरा
  • राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत – मेवाड़
  • राजस्थान की सबसे नवीन रियासत / अंग्रेजों द्वारा बनाई रियासत (1838) – झालावाड़
  • जाटों की रियासत – भरतपुर, धौलपुर
  • एकमात्र मुस्लिम रियासत – टोंक
  • राजस्थान एकीकरण में कुल समय – 8 वर्ष 7 माह 14 दिन।
  • राजस्थान का एकीकरण कुल 7 चरणों में हुआ।

ध्यान रहे –
राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan Ka Ekikaran) 7 चरणों में पूरा हुआ। यह प्रक्रिया 18 मार्च 1948 ईस्वी से शुरू हुई जो 1 नवंबर 1956 ईस्वी में पूरी हुई। राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan Ka Ekikaran) में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन का समय लगा। उस समय राजस्थान में 19 रियासते 3 ठिकाने ( नीमराणा – अलवर (कछवाहा वंश का शासन), कुशलगढ़ – बांसवाड़ा (राठौड़ वंश का शासन), लावा – टोंक (नरूका वंश का शासन), व एक केंद्र शासित प्रदेश अजमेर – मेरवाड़ा था।

स्वतंत्रता के समय प्रमुख नरेश / राजा

राज्यनरेश का नाम
अलवरमहाराज तेज सिंह नरुका (कच्छवाह )
बांसवाडामहाराजाधिराज चंद्रवीर सिंह बहादुर (गुहिल)
भरतपुरमहाराजा बृजेन्द्र सिंह (जाट )
बीकानेरमहाराजाधिराज सार्दुल सिंह (राठौर)
बूंदीमहाराव बहादुर सिंह (हाड़ा)
धौलपुरमहाराजधिराज उदयभानसिंह (जाट)
डूंगरपुरमहारावल लक्ष्मण सिंह (गुहिल)
जयपुरमहाराजाधिराज मान सिंह (कच्छवाह)
जैसलमेरमहाराजाधिराज रघुनाथ सिंह बहादुर (यदुवंशी भाटी )
झालावाड़महाराजाधिराज श्री हरिशचंद्र बहादुर (झाला राजपूत )
जोधपुरमहाराजाधिराज हनवंत सिंह (राठोड )
करौलीमहाराज गणेश पाल देव (यदुवंशी )
किशनगढ़महाराजाधिराज सुमेर सिंह (राठौड़ )
कोटामहाराव भीम सिंह (हाड़ा )
कुशलगढ़राव हरेंद्र कुमार सिंह (गुहिल)
लावाठाकुर बंसप्रदीप सिंह (कच्छवाह )
नीमराणाराजा राजेंद्र सिंह (कच्छवाह )
प्रतापगढ़महाराव अम्बिका प्रताप सिंह (गुहिल)
शाहपुराराजाधिराज सुदर्शन देव (गुहिल)
टोंकअजीजउद्दौला, वजीरउल मुल्क मो. इस्माइल अली खान (मुस्लिम रियासत )
उदयपुरमहाराजाधिराज भूपाल सिंह (गुहिल)
सिरोहीमहाराव अभय सिंह (देवड़ा )

राजस्थान के एकीकरण के चरण (Rajasthan Ka Ekikaran)

प्रथम चरण  ‘मत्स्य संघ (Matsaya Sangh)’

प्रथम चरण  'मत्स्य_संघ' - Matsaya Sangh
Matsaya Sangh (मत्स्य संघ)
  • मत्स्य संघ नाम K. M. मुंशी के सुझाव पर रखा गया।
  • 4 रियासतें (अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर) और एक ठिकाना (नीमराणा)

 Trick – ABCD ( अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर )

  • मत्स्य संघ का राजप्रमुख धौलपुर के महाराजा उदय भान सिंह को बनाया गया।
  • उप राजप्रमुख करौली के राजा गणेशपाल वासुदेव को बनाया गया।
  • मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री अलवर प्रजामंडल के प्रमुख नेता श्री शोभाराम कुमावत तथा उप प्रधानमंत्री युगल किशोर चतुर्वेदी व गोपी लाल यादव को बनाया गया।
  • मत्स्य संघ का विधिवत् उद्घाटन 18 मार्च, 1948 ईस्वी को एन. वी. गॉडगिल (नरहरी विष्णु गॉडगिल) के द्वारा लौहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) में किया गया।
  • मत्स्य संघ की राजधानी – अलवर
  • उस समय मत्स्य संघ का क्षेत्रफल 12000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या 18.38 लाख एवं वार्षिक आय 184 लाख रुपए थी।

ध्यान रहे -
इस संघ का उद्घाटन 17 मार्च 1948 ईस्वी को होने वाला था किंतु भरतपुर के शासक के छोटे भाई जाट नेता देशराज ने इस संघ को जाट विरोधी बताया और जाटों से संघ का निर्माण रोकने के लिए आह्वान किया, इसके फलस्वरूप जाटों का प्रतिनिधि इस संघ में शामिल किया गया और तभी 18 मार्च 1948 ईस्वी को ही संघ का उद्घाटन हो सका।

दूसरा चरण  ‘पूर्व राजस्थान संघ (Poorv Rajasthan Sangh)’ 

पूर्व राजस्थान संघ (Poorv Rajasthan Sangh)
पूर्व राजस्थान संघ (Poorv Rajasthan Sangh)
  • पूर्व राजस्थान संघ में कुल रियासतें 9 (कोटा, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, टोंक, बांसवाड़ा, किशनगढ़ और शाहपुरा),  एक ठिकाना – कुशलगढ़
Trick  – बाबू शाह की झाडू को प्रताप टोंक ले गया
बा – बांसवाडा़
बू – बूंदी 
शाह – शाहपुरा                  
की – किशनगढ़ 
झा – झालावाड़               
डू  – डुँगरपुर 
को – कोटा                     
प्रताप – प्रतापगढ़ 
टोंक – टोंक 
  • पूर्व राजस्थान संघ की राजधानी कोटा को बनाया गया।
  • पूर्व राजस्थान संघ राजप्रमुख कोटा के महाराव भीमसिंह
  • पूर्व राजस्थान संघ उप राजप्रमुख बूंदी के महाराजा बहादुर सिंह
  • पूर्व राजस्थान संघ का कनिष्ठ उप राजप्रमुख डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मण सिंह को बनाया गया।
  • पूर्व राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया।
  • पूर्व राजस्थान संघ का विधिवत् उद्घाटन 25 मार्च, 1948 ईस्वी को एन. वी. गॉडगिल के द्वारा कोटा दुर्ग में किया गया।
  • पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16807 वर्ग किलोमीटर, जनसंख्या लगभग 23.05 लाख एवं वार्षिक आय 200 करोड रुपए से अधिक थी।

ध्यान रहे – बांसवाड़ा रियासत के शासक चंद्रवीर सिंह ने अपना शासन सौंपने के कागजों पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था,   कि ‘आज मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं ‘ 

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तीसरा चरण ‘संयुक्त राजस्थान संघ (Sanyukt Rajasthan Sangh)’              

संयुक्त राजस्थान संघ (Sanyukt Rajasthan Sangh)
संयुक्त राजस्थान संघ (Sanyukt Rajasthan Sangh)
  • संयुक्त राजस्थान संघ का निर्माण पूर्व राजस्थान संघ में उदयपुर रियासत को मिलाकर किया गया।
  • संयुक्त राजस्थान संघ में अब कुल रियासते – 10 तथा कुल ठिकाने  –  1
  • संयुक्त राजस्थान संघ की राजधानी उदयपुर को बनाई गई।
  • संयुक्त राजस्थान संघ के राजप्रमुख मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह को  बनाया गया।
  • संयुक्त राजस्थान संघ के उप राजप्रमख कोटा के महाराव भीमसिंह को एवं कनिष्ठ राज्य प्रमुख बूंदी के महाराव लक्ष्मण सिंह को बनाया गया।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर संयुक्त राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा को एवं उपप्रधानमंत्री श्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया।
  • संयुक्त राजस्थान संघ का उद्घाटन 18 अप्रैल 1948 ईस्वी को विधिवत् रूप से जवाहरलाल नेहरू के द्वारा कोटा राज्य का ऐतिहासिक महत्व कायम रखने के लिए कोटा में किया गया।
  • संयुक्त राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 29,777 वर्ग मील जनसंख्या 42,60,918 तथा वार्षिक आय 3,016 करोड़ रुपए थी।

चतुर्थ चरण ”बृहद् राजस्थान (Vrhad Rajasthan) ” 

बृहद् राजस्थान (Vrhad Rajasthan)
बृहद् राजस्थान (Vrhad Rajasthan)
  • वृहद राजस्थान संघ में चार बड़ी रियासतों और एक ठिकाने का विलय हुआ।
  • वृहद राजस्थान संघ की चार रियासते – जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर
  • वृहद राजस्थान संघ का एक ठिकाना – लावा
Trick – जय जोधा जैबी  ( J J J B ) 
जय – जयपुर         
जोधा – जोधपुर 
जै  – जैसलमेर         
बी  –  बीकानेर
  • वृहद राजस्थान संघ में अब,  कुल रियासतें – 14 और कुल ठिकाने –  2 (कुशलगढ़, लावा)
  • वृहद राजस्थान संघ का महाराजप्रमुख भूपाल सिंह को बनाया गया।
  • वृहद राजस्थान संघ का राजप्रमुख जयपुर के शासक मानसिंह द्वितीय को बनाया गया।
  • वृहद राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
  • वृहद राजस्थान संघ का उद्घाटन कर्ता – सरदार वल्लभ भाई पटेल
  • वृहद राजस्थान संघ का उद्घाटन स्थल – सिटी पैलेस / चंद्रमहल (जयपुर)
  • वृहद राजस्थान संघ की राजधानी – जयपुर
  • वृहद राजस्थान संघ की तिथि – 30 मार्च 1949

दूसरी रियासतों का महत्व बनाए रखने के लिए उच्च न्यायालय जोधपुर में, खनिज विभाग उदयपुर में, कृषि विभाग भरतपुर में, शिक्षा विभाग बीकानेर में, तथा वन एवं सहकारी विभाग कोटा में रखने का निर्णय किया गया।

पंचम चरण  ” संयुक्त वृहद् राजस्थान (Sanyukt Vrhad Rajasthan)” 

संयुक्त वृहद् राजस्थान (Sanyukt Vrhad Rajasthan
संयुक्त वृहद् राजस्थान (Sanyukt Vrhad Rajasthan
  • डॉक्टर शंकर देव राव समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए 1 मई 1949 को ‘मत्स्य संघ’ को ‘वृहद राजस्थान संघ’ में मिलाकर इसका नाम ‘संयुक्त वृहद राजस्थान संघ’ किए जाने की विज्ञप्ति जारी हुई जो 15 मई 1949 ईस्वी को साकार हुई ।
  • अब संयुक्त वृहद राजस्थान संघ में कुल रियासतें 18 तथा कुल ठिकाने 3
  • संयुक्त वृहद राजस्थान की राजधानी – जयपुर
  • संयुक्त वृहद राजस्थान का महाराज प्रमुख – महाराजा भूपाल सिंह
  • संयुक्त वृहद राजस्थान का राजप्रमुख –  मानसिंह द्वितीय
  • संयुक्त वृहद राजस्थान का उप राजप्रमुख – महाराव भीमसिंह (कोटा)
  • संयुक्त वृहद राजस्थान का प्रधानमंत्री –  हीरालाल शास्त्री
  • संयुक्त वृहद राजस्थान की तिथि – 15 May 1949

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षष्ठम चरण  ” राजस्थान संघ (Rajasthan Sangh)” 

राजस्थान संघ (Rajasthan Sangh)
राजस्थान संघ (Rajasthan Sangh)
  • संयुक्त वृहद राजस्थान में आबू – देलवाड़ा को छोड़कर एकमात्र बची रियासत सिरोही को मिलाया गया।
  • राजस्थान संघ की तिथि – 26 जनवरी, 1950 ई.
  • 26 जनवरी, 1950 ई. के दिन ही इस भौगोलिक क्षेत्र को आधिकारिक रूप से राजस्थान नाम मिला।
  • राजस्थान संघ की राजधानी – जयपुर
  • राजस्थान संघ का मुख्यमंत्री – हीरा लाल शास्त्री
  • राजस्थान संघ का राजप्रमुख – मानसिंह दितीय (जयपुर)

सातवाँ चरण  ” राजस्थान (Rajasthan)” 

राजस्थान (Rajasthan)
राजस्थान (Rajasthan)
  • अजमेर-मेरवाड़ा, आबू-देलवाड़ा व मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का सुनील टप्पा गाँव राजस्थान में शामिल। बदले में झालावाड़ का सिरोंज उपखण्ड मध्यप्रदेश को दिया गया।
  • तिथि – 1 नवम्बर, 1956
  • 1 नवम्बर, 1956 को ही राजप्रमुख का पद समाप्त करके राज्यपाल का पद सृजित किया गया।
  • राजस्थान की राजधानी – जयपुर
  • राजस्थान का प्रथम मुख्यमंत्री – मोहन लाल सुखाडिया
  • राजस्थान का प्रथम राज्यपाल – गुरुमुख निहालसिंह

ये भी जानें 

  •  A-श्रेणी के राज्य  -> केन्द्र शासित प्रदेश को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। जैसे – अजमेर – मेरवाडा़
  • B-श्रेणी के राज्य  -> रियासतों के एकीकरण के बाद बने राज्य। जैसे – राजस्थान
  • C-श्रेणी के राज्य  ->  ठिकाने 
  • सैल्यूट स्टेट  -> वे रियासतें जिन्हें  तोपों की सलामी दी जाती थी।
  • नॉन – सैल्यूट स्टेट  -> जिन््हें तोपों की सलामी नहीं दी जाती थी। जैसे – ठिकाने  
  • पेनपिस्तल की घटना का सम्बन्ध जोधपुर के शासक हनुवन्त सिंह / हणूत सिंह से है। 
  • मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय डॉ. शंकर देव राव समिति की सिफारिश पर हुआ। 
  • जयपुर को राजधानी बनाने और अन्य विभागों की स्थापना पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर हुआ।
  • अजमेर मेरवाड़ा आबू देलवाड़ा और सुनेल टप्पा का राजस्थान में विलय डॉक्टर फजल अली समिति की सिफारिश पर हुआ।

एकीकरण के दौरान राजस्थान में 25 जिले थे ।

राजस्थान का एकीकरण चार्ट / RAJASTHAN KA EKIKARAN TRICK CHART

चरणतिथिनामशामिल रियासतेराजधानीमुख्यमंत्री/ प्रधान मंत्री
1. प्रथम18 मार्च 1948मत्स्य संघअलवर, भरतपुर ,धौलपुर, करौलीअलवरसोभाराम कुमावत
2. द्वितीय25 मार्च 1948पूर्व राजस्थानकोटा,बूंदी , झालावाड़ , प्रतापगढ ,शाहपुरा, डूंगरपुर, टोंक, किशनगढ,बांसवाडा(कुशलगढ़ ठिकाना )कोटागोकुल लाल असावा
3. तृतीय18 अप्रैल 1948संयुक्त राजस्थानपूर्व राजस्थान + उदयपुरउदयपुरमाणिक्य लाल वर्मा
4. चतुर्थ30 मार्च 1949वृहत राजस्थानसंयुक्त राजस्थान + जयपुर , जोधपुर ,बीकानेर , जैसलमेरजयपुरहीरालाल शास्री
5. पंचम15 मई 1949संयुक्त वृहत राजस्थानवृहद राजस्थान +मत्स्य संघजयपुरहीरालाल शास्री
6. षष्ठम26 जनवरी 1950राजस्थान संघसंयुक्त वृहत राजस्थान+सिरोही (आबू व देलवाड़ा तहसील को छोड़कर )जयपुरहीरालाल शास्री
7. सप्तम1 नवम्बर 1956राजस्थानराजस्थान संघ में अजमेर-मेरवाड़ा, आबू व देलवाड़ा व सुनेलटप्पा (मदसोर) गांव का विलय जबकि सिरोंज उपखण्ड (कोटा) मध्य प्रदेश को दिया गया।जयपुरमोहन ला

मुख्य तथ्य

  • सबसे बड़ी रियासत मारवाड़ (जोधपुर ) थी। महाराणा हनवंत सिंह उसके शासक थे। इन्होने जोधपुर का विलय पाकिस्तान में करने का असफल प्रयास किया था।
  • 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • आधुनिक राजस्थान का वर्तमान स्वरूप 1नवम्बर 1956को अस्तित्व में आया था।
  • राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री पं. हीरालाल शास्त्री (23 मार्च 1949 को बने ) थे।
  • राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल थे।
  • 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे इसलिए इन्हे आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहते है।
  • श्री पी सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित कमेठी की सिफारिशों पर जयपुर को राजधानी घोषित किया गया। हाई कोर्ट जोधपुर में , शिक्षा विभाग बीकानेर में खनिज और कस्टम व एक्साइज विभाग उदयपुर में ,राजस्व विभाग अजमेर में ,वन और सहकारी विभाग कोटा में एंव कृषि विभाग भरतपुर में रखने का निर्णय किआ गया।
  • शंकराव देव समिति की सिफारिश को ध्यान को रखते हुवे मत्स्य संघ को वृहत राजस्थान में मिला दिया गया। वंहा के प्रधान मंत्री श्री शोभाराम को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।

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