राजस्थान की प्रमुख झीलें | Major Lakes of Rajasthan

Rajendra Choudhary

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राजस्थान की प्रमुख झीलें | Major Lakes of Rajasthan

Major Lakes of Rajasthan – राजस्थान की प्रमुख झीलें – राजस्थान में मीठे पानी और खारे पानी की दो प्रकार की झीलें हैं।

  • खारे पानी की झीलों से नमक तैयार किया जाता है।
  • मीठे पानी की झीलों का पानी पीने एंव सिंचाई के काम में आता है।

मीठे पानी की झीलें: राजस्थान की प्राकृतिक सुंदरता

भारत का राजस्थान राज्य प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध है और मीठे पानी की झीलें इसका एक अनूठा हिस्सा हैं। इन जिलों में जयसमंद, राजसमंद, भायखला, आनासागर, विसागर, पुष्कर, सिलसिध, नक्की, बालसमंद, कोलियत, फतह सागर, उदय सागर आदि प्रमुख हैं।

1. जयसमंद

जयसमंद उदयपुर जिले में स्थित मीठे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। इसका निर्माण राजा जय सिंह ने 1685-1691 ई. में गोमती नदी पर बाँध बनवाकर करवाया था। यह बांध 375 मीटर लंबा और 35 मीटर ऊंचा है। यह झील लगभग 15 किमी लंबी और 8 किमी चौड़ी है, और उदयपुर से 51 किमी की दूरी पर स्थित है।

इस झील में लगभग 8 द्वीप हैं, जहाँ भील और मीना समुदाय के लोग निवास करते हैं। झील से निकलने वाली श्यामपुर और भाट नहरें भी इसका हिस्सा हैं और ये नहरें क्रमशः 324 किमी और 125 किमी लंबी हैं।

इस झील में स्थित बड़े द्वीप का नाम “बाबा का भागड़ा” और छोटे द्वीप का नाम “पियारी” है। झील के किनारे 6 छतरियां और कलात्मक प्रसाद भी हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं। यह झील पहाड़ों से घिरी हुई है और इसका शांत और सुरम्य वातावरण इसे पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण बनाता है।

मीठे पानी की झीलें राजस्थान की नैतिक और प्राकृतिक संपदा का प्रतीक हैं, और उनकी सुंदरता और महत्व भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। इन झीलों के आदान-प्रदान से यह सुनिश्चित होता है कि राजस्थान की प्राकृतिक सुंदरता और प्रदूषण मुक्त वातावरण संरक्षित रहे, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका आनंद ले सकें।

2. राजसमन्द:

एक प्राकृतिक रचना जो इतिहास और सौंदर्य का संगम

राजसमंद झील, एक महत्वपूर्ण मीठे पानी की झील है, जो उदयपुर से 64 किमी की दूरी पर स्थित है और कांकरौली स्टेशन के पास स्थित है। यह झील 6.5 किमी लंबी और 3 किमी चौड़ी है और इसका निर्माण 1662 ई. में उदयपुर के महाराणा राज सिंह ने करवाया था।

राजसमंद के पानी का उपयोग पीने और सिंचाई के लिए किया जाता है और इसके उत्तरी भाग को “नौ चौकी” के नाम से जाना जाता है। यहां संगमरमर के 25 शिलालेखों पर मेवाड़ का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व संस्कृत में लिखा हुआ है।

राजसमंद झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण एक आकर्षण है, साथ ही यह धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक प्रमुख स्थल भी है। यह स्थान उन लोगों के लिए भी मन को शांति देने वाला है जो प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं, और राजसमंद का इतिहास और विरासत उन्हें एहसास कराती है कि प्रकृति और मानवता का संगम समृद्धि का मार्ग हो सकता है।

3. पिछोला झील

उदयपुर की महक और सुन्दरतम् झील

पिछोला झील उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत झील है। जगमंदिर और जगनिवास, दो भव्य महल, इस झील के मध्य में स्थित दो द्वीपों पर स्थित हैं, जिनका प्रतिबिंब पिछोला झील में पड़ता है।

पिछोला झील का निर्माण 14वीं शताब्दी के अंत में एक खानाबदोश द्वारा किया गया था और बाद में उदय सिंह द्वारा इसका सुधार और सौंदर्यीकरण किया गया था। यह झील लगभग 7 किमी चौड़ी है और उदयपुर की प्राकृतिक सुंदरता का एक बेहतरीन उदाहरण है।

पिछोला झील के किनारे महलों का निर्माण सुरम्य और आकर्षक है और उनका प्रतिबिंब झील के पानी में घूमता रहता है। यह स्थान एक ऐसा गंतव्य है जो पर्यटकों की आत्मा को छू जाता है और इसलिए उदयपुर को ‘लेक सिटी’ के रूप में जाना जाता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व इसे एक अद्भुत पर्यटन स्थल बनाता है, और यह निश्चित रूप से एक सुखद और सांस्कृतिक अनुभव होगा।

4. आनासागर झील

आनासागर झील: अजमेर की महाकवि और ऐतिहासिक धरोहर

भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा आनासागर झील का निर्माण 1137 ई. में अजमेर के जमींदार अनाजी ने करवाया था। यह झील अजमेर शहर में स्थित है और 12 किमी की परिधि के साथ दो पहाड़ियों के बीच स्थित है।

आनासागर झील का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है, क्योंकि मुगल बादशाह जहांगीर ने यहां दौलत बाग बनवाया था और शाहजहां के शासनकाल में यहां बारादरी का निर्माण कराया गया था। इस सांस्कृतिक विरासत के अलावा, आनासागर झील अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है।

जब पूर्णिमा की रात को आनासागर झील चांदनी से जगमगाती है, तो यह एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करती है। इसकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण है, जो इसकी सुगंध और महत्व की सराहना करते हैं।

5. नक्की झील

नक्की झील: माउंट आबू की प्राकृतिक रमणीकता का प्रतीक

नक्की झील माउंट आबू के प्राकृतिक स्थलों में से एक है, जिसे प्राकृतिक झील के नाम से जाना जाता है। इस झील की गहराई लगभग 35 मीटर है और इसका कुल क्षेत्रफल 9 वर्ग किलोमीटर है।

नक्की झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है और पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है। आकर्षक जेबेल अबू परिसर में स्थित इस झील का दृश्य अद्भुत है और यह यहां के प्राकृतिक आकर्षण के रूप में जानी जाती है। नक्की झील वातावरण में शांति और सुकून का एहसास कराती है और लोग आसपास के प्राकृतिक वन्य जीवन की ओर भी आकर्षित होते हैं।

माउंट आबू की इस प्राकृतिक सुंदरता को देखने आने वाले पर्यटकों के लिए नक्की झील एक प्रमुख आकर्षण है और इसका इतिहास और विरासत भारत की सांस्कृतिक विरासत के महत्व को बढ़ाते हैं।

6. पुष्कर झील

पुष्कर झील: अजमेर के प्राकृतिक सौंदर्य का आदान-प्रदान

पुष्कर झील अजमेर से 11 किमी की दूरी पर स्थित है और यह पुष्कर शहर में स्थित है। इस झील के तीनों तरफ पहाड़ियां हैं और यहां सालों भर पानी का जमाव बरकरार रहता है। बरसात के मौसम में यहां की प्राकृतिक सुंदरता बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती है।

पुष्कर झील के चारों ओर स्नान घाट बने हुए हैं, जहाँ लोग धार्मिक स्नान करते हैं। इस स्थान पर हिंदू धर्म के प्रमुख देवता ब्रह्माजी का मंदिर है और यहां हर साल मेला लगता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

पुष्कर झील में स्नान करना और आस-पास के धार्मिक स्थानों का दौरा करना आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है और शांतिपूर्ण और शांतिपूर्ण प्रवास प्रदान करता है।

7. कोलायत झील

कोलायत झील: बीकानेर के आत्मा का अद्वितीय स्वरूप

बीकानेर से 48 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित, कुलियात झील प्राकृतिक सुंदरता का एक स्थल है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। इस झील के तट पर कपिल मुनि आश्रम है जो एक आध्यात्मिक और धार्मिक स्थान माना जाता है।

कोलायत झील का सबसे अनोखा और आकर्षक पहलू यह है कि यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक विशेष मेला लगता है, जो लोगों को आकर्षित करता है। इस मेले में लोग नज़ारों का आनंद लेते हैं, और धार्मिक समारोहों में भी भाग लेते हैं, जो इस स्थल को एक अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण में बदल देता है।

कुलियात झील की यात्रा एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव है और यह झील बीकानेर की प्राकृतिक सुंदरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

8. फतह सागर

फतह सागर: एक आकर्षक प्राकृतिक जलस्रोत

फ़तेह सागर पिछोला झील से 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है, जो प्राकृतिक जल निकायों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे राणा फतेह सिंह ने बनवाया था, जो इसे ‘फतह सागर’ कहते थे। यह झील पिछोला झील से निकलने वाली एक नहर से जुड़ी हुई है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।

फतह सागर का वातावरण शांति और सुकून से भरा है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाता है। यहां पर्यटक फतह सागर की प्राकृतिक सुंदरता, शांति और प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेते हैं जो उन्हें अपने दैनिक जीवन की हलचल से दूर होने का अवसर देता है।

9.  उदय सागर

उदयपुर से 13 किमी की दूरी पर स्थित उदय सागर एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक जलाशय है। इस झील का निर्माण उदय सिंह ने करवाया था इसलिए इसका नाम ‘उदय सागर’ पड़ा।

उदय सागर की प्राकृतिक सुंदरता और शांति आपका मन मोह लेती है। इसका पानी उदयपुर के आसपास के हिल स्टेशनों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है और इसका महत्व केवल पानी का स्रोत होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता के रूप में इसकी भूमिका भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थल पर्यटकों के लिए एक प्राकृतिक और शांत आकर्षण के रूप में कार्य करता है, और उदयपुर की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।

राजस्थान की खारे पानी की झीले

1. साँभर झील

राजस्थान में जयपुर और नागौर जिलों की सीमा पर स्थित, सांभर झील खारे पानी के प्राकृतिक आदान-प्रदान वाली भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है। चौहान शासक वासुदेव द्वारा निर्मित, झील खारी, खंडेला, मिनथा और रूपनगढ़ नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे जल स्रोत प्रदान करती हैं।

सांभर झील का क्षेत्रफल 500 वर्ग किलोमीटर है, इसकी दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम तक लंबाई लगभग 32 किलोमीटर है और चौड़ाई 3 से 12 किलोमीटर है। गर्मियों के दौरान वाष्पीकरण की उच्च दर के कारण इसका आकार भिन्न होता है, लेकिन इसमें प्रति वर्ग किलोमीटर 60,000 टन नमक होता है, जो भारत के नमक उत्पादन का 8.7 प्रतिशत दर्शाता है।

सांभर झील में सोडियम सल्फेट फैक्ट्री स्थापित की गई, जिससे प्रतिदिन 50 टन सोडियम सल्फेट का उत्पादन होता है, जिससे नमक का उत्पादन होता है। इसके अलावा, सांभर झील प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व रखती है और एक अद्वितीय पर्यटन स्थल मानी जाती है, जो राजस्थान के फुलेरा तहसील में स्थित है।

2. डीडवाना झील

डीडवाना झील: राजस्थान में नमक की खान

डीडवाना झील नागौर जिले के डीडवाना शहर के पास स्थित है और एक नमक झील है जिससे नमक तैयार किया जाता है। इसकी लंबाई करीब 4 किलोमीटर है और इसमें सोडियम सल्फेट मशीन लगाई गई है, जिससे नमक बनाया जाता है. डीडवाना शहर से 8 किलोमीटर दूर सोडियम सल्फेट प्लांट स्थापित किया जा रहा है तथा इस झील से उत्पादित नमक का उपयोग बीकानेर एवं जोधपुर क्षेत्र में किया जाता है।

राजस्थान के नागौर जिले की इस झील में सोडियम क्लोराइड के स्थान पर सोडियम सल्फेट प्राप्त होता है, जिससे यहाँ का नमक अखाद्य हो जाता है। इसलिए यहाँ नमक का प्रयोग विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं में किया जाता है। इस झील के पास राज्य सरकार ने ‘राजस्थान राज्य रसायन निगम’ नाम से दो इकाइयाँ स्थापित की हैं जो सोडियम सल्फेट और सोडियम सल्फाइट का निर्माण करती हैं। नमक बनाने का कार्य यहाँ थोड़ी मात्रा में ‘देवल’ जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।

3. पंचभद्रा झील

पंचभद्रा (बाड़मेर): राजस्थान की एक अनूठी झील

पंचभद्रा झील राजस्थान के बाडमेर जिले में बालोतरा के पास स्थित है। इस झील का निर्माण पंच भील ने करवाया था इसलिए इसे पंचभद्रा कहा जाता है। इस झील में समुद्री झीलों का नमक मिलाया जाता है और यहां से प्राप्त नमक में 98 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड होता है, यही कारण है कि यहां का नमक उच्च गुणवत्ता का होता है।

यह झील बाड़मेर जिले में पंचभद्रा नगर के पास स्थित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 25 वर्ग किलोमीटर है। इस झील की आपूर्ति का स्रोत वर्षा पर निर्भर नहीं है, बल्कि नियमित जल स्रोतों से पर्याप्त मात्रा में खारा पानी प्राप्त होता है। यहां इस खारे पानी से नमक तैयार किया जाता है, जिसमें सोडियम क्लोराइड की मात्रा 98 फीसदी तक पहुंच जाती है.

पंचभद्रा झील का यह अनोखा नमक भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और प्राचीन काल से ही खारवाल जाति के 400 परिवारों द्वारा नमक के क्रिस्टल से तैयार किया जाता रहा है।

4. लूणकरण सागर

लूणकरण सागर: बीकानेर की छोटी सी झील

लोनकरण सागर बीकानेर जिले के उत्तर-पूर्व में लगभग 80 किमी दूर स्थित है। इस झील के पानी में खारापन नहीं है, इसलिए यहां बहुत कम मात्रा में नमक पैदा होता है। इसका क्षेत्रफल लगभग 6 वर्ग किलोमीटर है।

राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित लोनकरण सागर बड़ा नहीं है और इसलिए यहां से बहुत कम मात्रा में नमक की आपूर्ति की जाती है। इस झील के आसपास का क्षेत्र मूंगफली के लिए प्रसिद्ध है और राजस्थान का यह क्षेत्र “राजकोट” के नाम से जाना जाता है।

5. पोकरण झील –

  • यह जैसलमेर जिले में स्थित है। नमक का अच्छा स्रोत
  • पोकरण झील जैसलमेर जिले में स्थित है और सालाना लगभग 6,000 टन उच्च गुणवत्ता वाला नमक पैदा करती है।

6. फलोदी झील –

  • जोधपुर जिले में नमक का एक स्रोत है
  • फलोदी झील जोधपुर जिले में स्थित है और यहाँ प्रतिवर्ष लगभग एक हजार टन नमक का उत्पादन होता है।

7. कुचामन झील –

  • नागौर जिले के लिए नमक का स्रोत
  • कुचामन झील नागौर जिले के कुचामन शहर के आसपास स्थित है और सालाना लगभग 12,000 टन नमक का उत्पादन होता है।

8. सुजानगढ़ झील –

  • चूरू जिले के लिए नमक का स्रोत
  • सुजानगढ़ झील चुरू जिले में स्थित है और यहाँ प्रतिवर्ष लगभग 24,000 टन नमक का उत्पादन होता है। कुचामन, फलोदी और सुजानगढ़ के कुओं से भी नमक का उत्पादन किया जाता है।

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